प्रभु हनुमान के अवतार माने जाते हैं बाबा नीम करौली
आगरा के पास फिरोजाबाद, उत्तर प्रदेश के गाँव अकबरपुर में जन्मे लक्ष्मी नारायण शर्मा फर्रूखाबाद, उत्तर प्रदेश के गाँव करौली में कठिन तप करके स्वयं ही बाबा नीम करौली बन गए। उनकी अलौकिक शक्तियाँ पूरे देश में, यहाँ तक की विश्व में इतनी अधिक प्रकाशित हुई कि उनका नाम किसी से अनजान न रह गया। पं० गोविंद वल्लभ पंत, डॉ॰ संपूर्णानन्द, राष्ट्रपति वी०वी० गिरि, उपराष्ट्रपति गोपाल स्वरूप पाठक, राज्यपाल व केंद्रीय मंत्री रहे के० एम. मुंशी, जुगल किशोर बिड़ला, महाकवि सुमित्रानंदन पंत, अंग्रेज जनरल मकन्ना, देश के पहले प्रधानमंत्री पं० जवाहर लाल नेहरू और भी ऐसे अनेक लोग बाबा के दर्शन के लिए आते रहते थे। बाबा राजा-रंक, अमीर-गरीब, सभी का समान रूप से पीड़ा निवारण करते थे । उनके उपदेश लोगों को पतन से उबारते और सन्मार्ग पर, सत्पथ पर चलाते।
बाबा के दर्शनों के लिए साधारण गाँव के लोगों से लेकर शहरी लोगों, बड़े अफसरों, राजनेताओं का ताँता लगा रहता था, लेकिन बाबा बड़े ही अलमस्त, मनमौजी और भाव प्रिय थे। कोई उन्हें भाव से याद करे तो अनायास ही बिना बुलाए उसके घर पहुँच जाते और यदि किसी के भाव में कमी रह जाए तो बड़े से बड़े व्यक्तित्व से भी न मिले।
पूर्व प्रधानमंत्री गुलजारी लाल नंदा से नहीं मिले बाबा नीम करौली
एक बार वह गुलजारी लाल नंदा, जो उस समय देश की राजनीति में अतिविशिष्ट माने जाते थे, उनसे भी न मिले थे। यद्यपि नंदा जी बड़े धार्मिक भी थे व राजनीति में उच्च प्रतिष्ठा प्राप्त थे, परन्तु न मालूम बाबा को क्या बात बुरी लगी। बहुत चाहने पर भी नंदा जी को मायूस होकर वापिस लौटना पड़ा। बाबा अक्सर एक कम्बल ओढ़ कर रखते थे। किसी-किसी से बड़े प्रेम से लम्बे समय तक बात करते थे और किसी-किसी को देखकर कम्बल में मुँह छिपा लेते थे ।