भारतीय रेलवे से प्रतिदिन करोड़ों भारतीय सफर करते हैं, आपने भी अपने जीवन में इसका लुफ्त जरूर लिया होगा, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि रेलवे आपको अपना मनपसंद डिब्बा और निश्चित सीट क्यों नहीं देता? जबकि किसी मूवी थियेटर में आप अपनी मन पसंद सीट चुन सकते हैं।
बहुत काम लोगों को पता है कि ट्रेन में सीट बुक करने में भी फिजिक्स की आवश्यकता होती है। क्योंकि मूवी थियेटर एक हॉल है और हमेशा स्थिर रहता है जबकि रेलवे में एक पूरा मैकेनिजम काम करता है, चलती हुई ट्रेन का बैलेंस सही तरीके से बना रहे इस लिए IRCTC का बुकिंग सॉफ्टवेयर का एल्गोरिथ्म इस तरह से बनाया गया है कि टिकट इस तरह से दी जाएं जिससे ट्रेन में लोड सामान रूप से वितरित किया जा सके।
बुकिंग सॉफ्टवेयर एक उचित संतुलन बनाए रखने के लिए सबसे पहले स्लीपर कोच की नीचे के बर्थ बुक करता है और ऊपर की सीट सबसे बाद में बुक होती हैं।
साथ ही सॉफ्टवेयर गुरुत्वाकर्षण केंद्र बनाए रखने के लिए कोच की बीच की सीट सबसे पहले बुक करता है, आसान भाषा में कहें तो कोच की आपातकालीन खिड़की की सीट की बर्थ से बुकिंग शुरू होते हुए मुख्य द्वार की तरफ बुकिंग की जाती है।
अगर किसी ट्रेन में 10 स्लीपर क्लास के डिब्बे हैं और उन 10 डिब्बों में से बीच के 3 डिब्बे पूरी तरह खाली छोड़ दिए जाएं तो तेज गति में ट्रेन के किसी मोड़ पर मुड़ती है तो कुछ डिब्बों पर अपकेन्द्रीय बल बहुत कम लगेगा और कुछ पर बहुत ज्यादा, ऐसे में बहुत ज्यादा संभावना है कि ट्रेन पटरी से नीचे उतर जाएगी। यही कारण है कि रेलवे एक सीमा तक ही हमें सीटों का चयन करने का विकल्प देता है, पूरी तरह से नहीं।