चमोली: संस्कृत का संवाहक बनेगा कर्णप्रयाग का डिम्मर गांव, संस्कृत विभाग ने संस्कृत ग्राम के रूप में किया चयनित ।
114 साल पहले स्थापित किया गया था संस्कृत महाविद्यालय, गांव में संस्कृत में होती है रामलीला, अन्य गतिविधियां भी होंगी शुरू
कर्णप्रयाग। विकासखंड का डिम्मर गांव चमोली में संस्कृत भाषा का संवाहक बनेगा। डिम्मर को संस्कृत ग्राम के रूप में चयनित किया गया है। जल्द ही गांव में संस्कृत ग्राम की तमाम गतिविधियां शुरू होने की संभावनाएं जताई जा रही हैं।
करीब 1500 की आबादी वाले गांव डिम्मर को संस्कृत विभाग ने संस्कृत ग्राम बनाने की तैयारी की है। डिम्मर की रामलीला संस्कृत में होती है। यहां पंचायती चौरी चौक में दोहे और चौपाई लिखे हुए देखे जा सकते हैं। चौरी में महत्वपूर्ण कार्यक्रमों और रामलीला के दौरान कुर्सियां नहीं होतीं, सभी का भूमि पर आसन लगा होता है। यहां की रामलीला को 106 साल से अधिक हो चुके हैं। यही नहीं पीढ़ियों से यहां के निवासी देश और विदेश में इंजीनियर, वैज्ञानिक, डॉक्टर, राजदूत के अलावा प्रशासनिक और आईटी सेक्टर में भी सेवारत हैं। वहीं भगवान बदरी विशाल के पुजारी का दायित्व भी निभाते हैं। डिमरी केंद्रीय पंचायत के अध्यक्ष आशुतोष डिमरी, डिम्मर उमट्टा पंचायत के सरपंच विजयराम डिमरी कहते हैं कि ग्रामीणों ने यहां 1910 में संस्कृत महाविद्यालय की स्थापना की। जिसमें सैकड़ों बच्चों ने संस्कृत भाषा में ज्ञान लिया और आज विभिन्न क्षेत्रों में सेवाएं दे रहे हैं। वहीं ग्राम प्रधान राखी डिमरी ने कहा कि मीडिया के माध्यम से डिम्मर को संस्कृत ग्राम बनाए जाने की सूचना मिली है। हालांकि यहां पूर्व में संस्कृत ग्राम बनाए जाने को लेकर संस्कृत शिक्षा निदेशक की मौजूदगी में बैठक भी हो चुकी है।